अभी अभी ......


Saturday, June 5, 2010

चित्रकार

उसने कहा लाल...
और मैं लाल हो गया ...
उसने कहा पीला ...और मैं पीला हो गया ....
वह कहती रही सफेद, हरा, नीला, धामनी, और
मैं हर रंग मे रंगता रहा ...
वो तो मुझे बाद में समझ आया वो एक कुशल चित्रकार थी
जो अपने फायदे के रंग लेकर एक दिन कहीं उड़ गई....

इलाज....

सुनो मुन्ना को बहुत तेज़ बुखार है कहीं से दवा-दारू का इंतिजाम करों,
कहां से करू अभी तो फूटी कौड़ी भी नहीं है मेरे पास
,जाकर मालिक से ही क्यों नहीं मांग लाते हो ,
अभी तो लाया था बडी मुश्किल से गाली देने के बाद 100 रू दिये थे फिर कैसे जाउ
तो क्या हमारे बेटे के नसीब में इलाज भी नहीं लिखा है ,ठीक एक बार फिर जाता हूं मांग देखता हूं.... बाहर तो ऐसा लगता जैसे आसमान ही फट गया हैं......
फिर आ गया साले रोज रोज पैसा मांगते हुए शर्म नहीं आती देख नहीं रहा है अंदर वीआईपी लोग हैं पार्टी चल रही है और तू अपना मनहूस चेहरा लेकर फिर आ गया चल भाग यहां से ......
और रामू निकाल दिया गया घर से ......
घर लौट कर देखा तो बेटे ने तेज बुखार में ही दम तोड़ दिया ...
बाहर बारिश थम चुकी थी...लेकिम रामू की आंखों में कुछ उतर आया था....