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Wednesday, May 18, 2011

मलीहाबादी दशहरी....आम

मौसम की मार के कारण इस साल भले ही आम आदमी और आम के बीच दूरियां कुछ बढ़ जाएं, लेकिन खास आमों में शुमार किया जाने वाला मलीहाबादी दशहरी इस बार कुछ ज्यादा ही खास हो गया है। अब इसके नाम पर आपको कोई भी ऐरा-गैरा आम नहीं भिड़ाया जा सकेगा। ऐसा करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इस आम को अब जीआई (जियॉग्रफिकल इंडिकेशन) टैग से लैस कर दिया गया है। यह एक किस्म का बौद्धिक संपदा अधिकार या पेटेंट है।

मलीहाबादी दशहरी आम अपनी लज्जत और खुशबू के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है। जब भी आम की किस्मों का जिक्र होता है, इसका नाम पूरे अदब से लिया जाता है। लेकिन हकीकत यह भी है कि इसकी खासियतों के कारण ही इसके नाम पर पैसा कमाने की होड़ भी देश में जमकर चल रही है। आम आदमी सामान्य दशहरी और मलीहाबादी दशहरी में फर्क नहीं कर पाता और अक्सर ठग लिया जाता है। इसे जीआई टैग मिलने के बाद अब किसी भी आम को मलीहाबादी दशहरी आम कहकर बेचा नहीं जा सकेगा।

जीआई टैग

इसे जीआई टैग, मानकों पर खरा उतरने पर चेन्नै स्थित जियॉग्रफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री ऑफिस ने दिया है। यह टैग दिलाने में नैशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड, गुड़गांव और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की इकाई संेट्रल इंस्टिट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉट्रिकल्चर, लखनऊ की अहम भूमिका रही है। इन्होंने इस आम को पैदा करने से लेकर इसकी एक-एक खासियत की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। यह टैग मिलने से मूल वृक्ष की किस्म के आम मलीहाबाद इलाके की आबोहवा में पैदा किए जाने पर ही मलीहाबादी दशहरी आम कहलाएंगे।

इस कारण मूल वृक्ष की किस्म के आम को देश या दुनिया के किसी दूसरे क्षेत्र में उगाने पर उसे मलीहाबादी दशहरी आम नहीं कहा जा सकेगा। इससे मलीहाबाद के किसानों को बेवजह प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे जहां उन्हें उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिल सकेगा, ग्राहक को भी असली आम मिलेगा। मलीहाबादी दशहरी जब बाजार में आएगा तो उस पर जीआई टैग लगा होगा। किसी और किस्म पर यह टैग लगा होने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

मलीहाबाद में दशहरी आम पैदा करने वाले किसानों का एक संगठन है जो इसकी क्वॉलिटी पर नजररखता है। जीआई टैग मिलने के बाद अब अगर किसी किसान का आम मानकों पर खरा नहीं उतरातो उससे मलीहाबादी दशहरी बेचने का हक छीन लिया जाएगा। 

बॉक्स 

कहां है मूल वृक्ष 
मलीहाबादी दशहरी आम का मूल वृक्ष कोई 150 साल पुराना है। यह उत्तर प्रदेश की मलीहाबादतहसील के काकोरी ब्लॉक के दशहरी गांव में आज भी मौजूद है। यह गांव लखनऊ से 14 किलोमीटरदूर लखनऊ हरदोई हाइवे पर है। मूल वृक्ष की ऊंचाई 10 मीटर है और इसका तना तीन मीटर मोटाहै। पिछले दस साल से यह हर साल 79 से 189 किलो आम दे रहा है। इसी पेड़ से पैदा हुए आम केपेड़ मलीहाबादी दशहरी को उसकी खास पहचान देते हैं।