अभी अभी ......


Monday, September 20, 2010

इन हाथों में साथ रहने की लकीरें ही कम थी...

वो मौसम वो बहार उसके सामने कम थी,
साथ गुज़रा हुआ वक़्त वो फिजा कम थी,
दूर तो आखिर होना ही था जालिम,क्या करें,
इन हाथों में साथ रहने की लकीरें ही कम थी...