अभी अभी ......


Saturday, February 27, 2010

भष्ट्राचार पर लगाम पर कैसे करेगें ये काम..

भ्रष्ट्राचार को लेकर चौतरफा हो रही किरकिरी से बाद अब राज्य सरकार कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है..शासन लगातार कह रही कि लंबित विभागीय जांच छह महीने में पूरी नहीं करने वाले जांच अधिकारी के खिलाफ अब जांच शुरु कर दी जायेगी...मामला स्वास्थ विभाग के भ्रष्ट्राचार का हो या आईएएस जोशी दंपत्ति के पास मिले करोड़ो रुपयों का...सरकार को चौतरफा बदनामी झेलनी पड़ रही है..भ्रष्ट्रचार का जिन्न ऐसा फैला कि सरकार को अपने अधिकारियों को काम के बदले पैसा न लेने का संकल्प दिलाना पड़ रहा है..अब सरकार इससे निपटने की तैयारी भी कर रही है..सरकार ने फरमान जारी किया है-कि विभागीय जांच को छह महीनों में पूरा करना ही होगा..नहीं करने वाले अधिकारियों पर उल्टी जांच शुरु हो जायेगी..लेकिन दूसरी तरफ सरकार के इस फरमान को विपक्षी दल नाकाफी बता रहे है..काग्रेंस ने सरकार के इस फरमाल को नाकाफी बताते हुए सरकार पर दबाब बना रही है कि यदि भाजपा भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए गंभीर है..तो मुख्यमंत्री को भ्रष्ट्राचार में दोषी अधिकारियो की संम्पत्ति राजसात करने का आदेश जारी करना चाहिये..तभी इसे रोका जा सकता है....प्रदेश में यदि विभागीय जांचो की स्थिति पर नजर डाले तो करीब(1-2040 से ज्यादा ऐसी जांच लंबित है..जिनके दोषी रिटायर्ड हो चुके है..2-विभिन्न विभागों में करीब 4000 से ज्यादा जांचे लंबित है..3 प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में अकेले 800 से ज्यादा जांच लंबित..इसके अलावा लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो में लंबित प्रकरण अलग है) इतनी लंबित जांचो के बाद भ्रष्ट्राचार मुक्त प्रदेश की कल्पना करना काल्पनिक ही हो सकती है..

होली है तो पर...


 पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी होती है...जहां तक परंपराओ की बात है...तो वह समय और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है...बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए यह कहना सही होगा....कि अब हरियाली से होली खेलना बंद कर देना चाहिए...और यही समय की दरकार भी है... कि आने वाली पीढ़ी के लिये परंपराओ में बदलाव करें... बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोवल वार्मिंग ने लोगों की मुश्किले बढ़ा दी है..... पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हरे भरे पेड़ों को बचाने विभिन्न प्रयास किये जाते है....ऐसे में होली हमें अपने देश काल की परिवर्तित होती परिस्थितियों के अनुसार मनाना चाहिए...पर्यावरण को हो रही हानि के चलते अब सिर्फ प्रतीकात्मक होली जलाई जाना चाहिए... पहले समय मे जमीन जंगल से लदे पड़े थे...जिसके कारण होलिका दहन से प्रदुषण की समस्या से निज़ात  मिल जाती थी...लेकिन आज परिस्थिति ठीक विपरीत हो गई है...आज जमीन ज्यादा और जंगल कम हो गए है...ऐसे में परंपराओ में बदलाव जरुरी है...अब होली..... समय और पर्यावरण को देखते हुए मनाना चाहिए...हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखने की चिंता हमें करना चाहिए... हमें पुरानी परंपराओ में परिवर्तन कर होली को नए तरिके से मनाना चाहिए...अपने अहम को कम कर होली मनानी चाहिए...आज पर्यावरण की गंभीरता को देखते हुए...परंपराओ में परिवर्तन की आवश्यकता है...बुद्धजीवी वर्ग मानता है कि पर्यावरण संतुलन के लिए हमें ही पहल करनी होगी...ताकि आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर रुप धारण ना कर सके...