अभी अभी ......


Sunday, February 27, 2011

कल पेश होगा बजट

 वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी सोमवार को देश का आम बजट पेश करेंगे। पांच प्रदेशों में जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह बजट आम आदमी को राहत देने वाला हो सकता है। उम्‍मीद जताई जा रही है कि इनकम टैक्‍स छूट की सीमा मौजूदा 1.60 लाख से बढ़ा कर 2 लाख रुपये की जा सकती है। किसानों के लिए भी कुछ राहत दी जा सकती है।

असम, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होना हैं। माना जा रहा है कि बजट में नौकरीपेशा लोगों और किसानों को राहत मिलेगी।  वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार को लगातार तीसरी बार बजट पेश करेंगे। 

कर वसूली बढ़ी, लेकिन सामाजिक क्षेत्र में खर्च कम
लेकिन सभी की निगाहें आयकर में छूट पर हैं। यदि वित्‍त मंत्री इसमें रियायत दे भी देते हैं तो इससे भला सरकार का ही होगा, क्‍योंकि सरकार की कर वसूली लगातार बढ़ रही है और सामाजिक क्षेत्र में उसका खर्च उस अनुपात में काफी कम है।

लोगों को टैक्‍स अदा करने के लिए प्रेरित करने के लिए बनवाए विज्ञापन में सरकार यही कहती है कि टैक्‍स का इस्‍तेमाल उन्‍हीं की भलाई में होगा, पर सच कुछ और है। सरकार आम लोगों से सीधे तौर पर वसूले जा रहे कर (प्रत्‍यक्ष कर) की आधी रकम भी सामाजिक क्षेत्र में खर्च नहीं कर रही है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान अप्रैल से जनवरी तक 3,17,501 करोड़ रुपये का राजस्व सिर्फ प्रत्यक्ष कर के रूप में हासिल किया है। जबकि सरकार लोगों के हित में, सामाजिक क्षेत्र में सीधे तौर पर महज 1.37 लाख करोड़ रुपये (प्रत्‍यक्ष कर राजस्‍व का एक तिहाई से थोड़ा ज़्यादा) ही खर्च कर रही है। देश को कर के तौर पर मिलने वाले राजस्व का एक बड़ा हिस्सा रक्षा बजट में चला जाता है। प्रत्यक्ष कर में व्यक्तिगत आयकर, कंपनियों से मिलने वाला कर, सेक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स, फ्रिंज बेनेफिट टैक्स और बैंकिंग लेनदेन से जुड़े टैक्स शामिल होते हैं।

बीते अप्रैल से जनवरी तक इसकी वसूली छले साल की तुलना में 20 फीसदी बढ़ी है। लेकिन इस दौरान इससे कहीं ज्‍यादा रकम घोटाले की भेंट चढ़ने की जानकारी उजागर हुई। पिछले एक साल में सामने आए पांच बड़े घोटालों (सीडब्‍ल्‍यूजी, 2जी, खाद्यान्‍न, आदर्श और एस बैंड घोटाला) से ही सरकारी खजाने को 4.82 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है।भारत सरकार सामाजिक क्षेत्र पर मात्र 1.37 लाख करोड़ रुपये (1370 अरब रुपये) खर्च कर रही है, जो वित्त वर्ष 2010-11 के लिए तय सालाना बजट का करीब 37 फीसदी है। इसमें स्वास्थ्य पर करीब छह फीसदी और शिक्षा पर करीब 9 फीसदी खर्च किया जा रहा है।

यह अनुपात अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में काफी कम है। अमेरिका में सिर्फ स्वास्थ्य पर 23 फीसदी और सामाजिक सुरक्षा पर सालाना बजट का 20 फीसदी खर्च किया जाता है। वहां सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर (अनिवार्य खर्च) सालाना बजट का करीब 56 फीसदी खर्च किया जाता है, जो वहां के रक्षा बजट का करीब तीन गुना है।ब्रिटेन में 122 अरब पाउंड स्टर्लिंग सेहत और 26.2 अरब पाउंड स्टर्लिंग (करीब 1900 अरब रुपये) की रकम शिक्षा पर खर्च की जा रही है।

ब्रिटिश सरकार जनकल्याण और सुरक्षा पर करीब 75 अरब पाउंड स्टर्लिंग खर्च कर रही है। गौरतलब है कि एक पाउंड स्टर्लिंग में करीब 73 भारतीय रुपये होते हैं। तेजी से विकास कर रहा भारत का पड़ोसी चीन सामाजिक सुरक्षा पर करीब दो हजार अरब रुपये सालाना की दर से खर्च कर रहा है। चीन ने 2006 से 2010 तक कुल 9450 अरब रुपये सामाजिक सुरक्षा पर खर्च किए हैं।

बदहाल पाकिस्‍तान ने सामाजिक सुरक्षा और जनकल्याण के नाम पर वित्त वर्ष 2009-10 की पहली छमाही में 694 अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 350 अरब भारतीय रुपये) खर्च किए। इसमें गरीबी हटाने, कानून व्यवस्था, सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मदों में खर्च शामिल हैं।

Sunday, February 20, 2011

मैं कुछ ख्बाव पुराने छोड आया


ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था
दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था
मुआफ़ कर ना सकी मेरी ज़िन्दगी मुझ को
वो एक लम्हा कि मैं तुझ से तंग आया था
शगुफ़्ता फूल सिमट कर कली बने जैसे
कुछ इस तरह से तूने बदन चुराया था
गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह
अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था
पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री
मैं चंद ख़्वाब ज़माने में छोड़ आया था

Saturday, February 19, 2011

मंडला सामाजिक महाकुंभ.......यानि मध्य प्रदेश का कामनवेल्थ


 फरवरी में नर्मदा समाजिक कुं भ का आयोजन . जिसमें २० लाख श्रृधालुओं के आने की संभावना प्रशासन द्वारा व्यक्त की गई..जिसमें ५० नगर बसाये जा रहे है इन नगरों के बसाये जाने के लिये किसानों की भूमि को भी अधिग्रहित किया गया है ? जिसमें किसानों द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर व किसानों ने मांग की थी कि, हमारी भूमि अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने को लेकर किसानों द्वारा विरोध भी किया गया। जब मुआवजा समय पर नही दिया गया तो इस मुआवजे को लेकर उच्च न्यायायल की शरण में किसान पहुंचे किसानों की यह भी मांग भी की जब कुंभ का आयोजन फरवरी २०११ मेें है तो हम एक फसल आराम से ले सकते थे, लेकिन प्रशासन ने एक नही सुनी। किसानों ने अपनी पीड़ा को बयां करते हुये जानवरों के सामने चारा संकट को लेकर भी अवगत कराया क्योंकि जब फसले ही नही बोयेंगे तो जानवरों को खिलाने के लिये चारा कहां से लायेंगे इस कुंभ के आयोजन से सबसे ज्यादा पीडित वह किसान हुआ उनके जानवर हैं? जिनकी १५०० एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई चौकाने वाली बात यह है कि, इस कुंभ का आयोजन माह फरवरी में होना तय था तो रोजगार गारंटी के तहत मेढ़ बंधान का कार्य क्यों किया गया ? क्योंकि जो भूमि अधिग्रहण की गई है उनमें २००९-१० में मेंढ़ बंधान के कार्य क्यों किये गये ? शासन की राशि का दुरूपयोग क्यों किया जा रहा है ? जबकि जो भूमि अधिग्रहण की गई है जिनमें नगर बसाये जाने हैं उनको समतलीकरण करके मेंढ़ों को तोडक़र ही समतलीकरण किया गया है ? यह कैसा विकास हैं या फिर आम भाषाओं में विनाश ही नजर आ रहा हेै? यह कुंभ में आने वाली समस्या एक नही अनेक है? इस कुंभ के आयोजन क ो लेकर सांसद मण्डला ने भी विरोध जताते हुये कहा कि यह कुंभ में प्रशासन द्वारा केन्द्र की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है मैं कुंभ के आयोजन का विरोध नही कर रहा हॅूं बल्कि इसमें अधिकारियों द्वारा जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है और अनामक स्तर के निर्माण कार्याे को अंजाम दिया जा रहा है। जनभागीदारी के पैसों का एक जगह उपयोग करना यह प्रशासन की गलत नीति है जबकि जनभागीदारी की राशि पूरे जिले के विकास कार्याे में उपयोग की जाती है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस राशि का एक ही जगह उपयोग करना अनूचित है? सांसद द्वारा बताया गया कि २००८-०९ में नर्मदा गहरीकरण इसके डायवर्सन को लेकर भी करोड़ों रूपये खर्च किये गये किन्तु नतीजा सिफर रहा? फिर इस नर्मदा नदी के बीचों बीच में हजारों डम्फर मुर्रम, बोल्डर, पत्थर डालकर सडक़ बना दी गई जब इस सडक़ का निर्माण करना था तो शासन के पैसों को पानी की तरह बहाकर गहरीकरण का कार्य क्यों किया गया यह भी जांच का विषय है?
            इस कुंभ में नर्मदा के आसपास घाटों का निर्माण जल संसाधान विभाग द्वारा कराया जाा रहा है इन कार्याे में भी भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है जब केन्द्र सरकार द्वारा बेरोजगारो को रोजगार मुहैया कराने के लिये योजनायें तो बना ली जाती है लेकिन योजनाओं का सही क्रियान्वयन अधिकारियों द्वारा नही किये जाने पर आज भी शहर में बेरोजगारी सिर चढक़र बोल रही है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि, कुंभ के आयोजन के दोैरान जिन निर्माण ऐजेंसियों के द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है व ज्यादातर मशीनों से कार्य लिया जा रहा है यह तो वही कहावत हुई:-नदी किनारे घोंघा प्यासा, की कहावत को चरितार्थ करता है आज जल संसाधन द्वारा जन भागीदारी से जिन घाटों का निर्माण किया जा रहा है वह अन्य क्षेत्रों से संसाधन बुलाकर उनको काम दिया जा रहा है, जबकि नियम कुछ ओैर ही कहता है?
            ऐसा ही हाल पीएचई विभाग द्वारा नलजल योजना के तहत अस्सी किलोमीटर पाईपलाईन बिछाने का कार्य किया जा रहा है इस कार्य में जो विभाग द्वारा निर्माण स्थल पर मोैजूद न रहने के कारण गुणवत्ताविहीन कार्य किया जा रहा है इसका कारण इस कार्य को मेट मुंशी हवाले छोड़ दिया गया है। उनको तकनीकी ज्ञान का अभाव होने के कारण निर्माण कार्य अमानक स्तर पर किया जा रहा है? कुंभ में कोई यह नया अध्याय नही जिसमें आम जनों से लेकर उच्च अधिकारियों ने भी उंगली उठाई मगर कुछ नही निष्कर्ष निकला इससे स्पष्ट होता है कि बडे नेताओं का संरक्षण मिलने के कारण मामला जांच तक नही पहुंच पा रहा है।
            ऐसे ही अपने कारनामों से चर्चित नगर पालिका भी इस कुंभ में अहम भूमिका निभा रहा है। इस विभाग को साफ सफाई से लेकर सडक़ों को चोैड़ीकरण व शौचालय एवं सुलभ कॉम्पलेक्स बनाने की जिम्मेदारियां दी गई है। अभी हाल ही में  पूर्व नगर पालिका अधिकारी द्वारा जो खरीदी की गई थी उसकी चर्चा विधान सभा में भी गूंजी थी ? लेकिन ले देकर मामले को दबा दिया गया ऐसा ही हाल नपा द्वारा वर्तमान खरीदियों पर भी घोटाला करने का कारनामा शुरू हो गया है। 
            कुंभ के दोैरान लोक निर्माण विभाग भी इस भ्रष्टाचार क रने में पीछे नही है जहां २० लाख श्रृद्धालूओं के आने की बात प्रशासन कर रहा है वही यातायात का दबाव भी शहर में बना रहेगा लोक निर्माण विभाग द्वारा शहर के मुख्य मार्ग जहां से श्रृद्धालुओं का आवागमन रहेगा इसलिये सडक़ का निर्माण विभाग द्वारा जोरशोर से कराया जा रहा है लेकिन विभाग द्वारा जिस ठेकेदार को इस निर्माण कार्य की बागडोर सांैपी गई है वह ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है करोड़ो की लागत से बन रहे मार्गाे पर अमानक स्तर की सामग्री उपयेाग कर रहे हैं जिसका उदाहरण वर्तमान में मानादेई मार्ग जो बनते देर नही उखडऩे लगा है ओैर कई मार्गाे में दरारे आ गई है लेकिन ठेकेदार बेखौफ निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है वही विभाग मोटी राशि कमीशन के एवज में लेकर चुप्पी साधे हुये हैं? वही जल संसाधन विभाग द्वारा वर्तमान में घाट का निर्माण किया जा रहा है जो गुणवत्ता विहीन है।  इस घाट निर्माण में हार्ड बेैस का उपयोग न करके सीधे रेतीली मिटटी में लोहे का जाला बिछाकर सीमेन्ट्रिकरण कर दिया गया है। जो बनते देर नही अपनी गुणवत्ता खुद बयां करने लगा। ऐसा ही हाल सडक़ निर्माण का है जो ठेकेदार की लापरवाही के चलते घटिया निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है। क्षेत्रीय निवासी प्रदीप यादव ने बताया कि इस सडक़ निर्माण में  ठेकेदार द्वारा डामर का कम उपयोग किया जा रहा है जिससे गिट्टीयां खुद व खुद अपनी जगह से निकल रही है और आने जाने वाले वाहनों को परेशानियां उठानी पड़ रही है। ठेकेदार द्वारा इस सडक़ निर्माण में बारिक गिटटी से सील कोट नही किया जा रहा है, ऐसा लग रहा है कि कुंभ के पहले ही सडक़ उखड़ न जाये।
            यह कोई विभाग द्वारा नया कारनामा नही क्योंकि ऐसा ही एक मामला संगम घाट का है जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस घाट की क्या उपयोगिता है। संगम घाट में नहाने वाले लोगों ने बताया कि कुंभ के चलते यह नव निर्मित घाट बनाया गया है, जो घाट का निर्माण क रने वाले अधिकारी व ठेकेदार द्वारा घाट के सामने साफ सफाई न होने के कारण इस उपयोग न के समान है। इस घाट के सामने पानी ही नही है तो निस्तार कहां से किया जावेगा।
            इस कुंभ के आयोजन में सबसे ज्यादा घोटाला शौचालय निर्माण कार्य में सामने आया है। जिसकी वास्तविक लागत कुछ और है लेकिन ठेकेदार द्वारा इसकी लागत कुछ और ही बताई जा रही है। इस संबंध में संबंधित ठेकेदार से चर्चा की गई तो उन्होंने विभाग का नाम बताकर पल्ला झाडते हुये कहा कि, इस संबंध में विभाग के अधिकारियों से ही जानकारी ले। अभी हाल ही में इस शौचालय निर्माण में पचास लाख का घोटाला प्रकाश में आया। जिसकी चर्चायें सर्द हवाओं के साथ गर्म नजर आई। मण्डला में माह फरवरी २०११ में भरने वाला यह कुंभ पूरे भारत में एक घाटोले के नाम पर इतिहास रचने वाला है क्योंकि जिन विभागों को इसके निर्माण कार्य से लेकर व्यवस्थाओं की बागडोर सौंपी गई है, वही इस कुंभ मेंं भ्रष्टाचार करने से बाज नही आ रहे हैं। इन निर्माण कार्याे की तस्वीर ही बंया कर देगी किस निर्माण में कितना खर्च आया होगा। यह तब पता चलेगा जब कुं भ का आयोजन समाप्त होने के बाद जांच होगी, क्योंकि जिस तरह कॉमनवेल्थ में हुये निर्माण कार्याे के घोटाले की चर्चा थी  जिससे पूरा भारत वर्ष शर्मशार हुआ था, उसी इतिहास को दोहराने की कवायद मण्डला जिले में इस कुंभ के आयोजन के नाम पर की जा रही है। 

Friday, February 4, 2011

मोला झोल्टु-राम बना देहे ओ ।

एती जाथोँ त ओती जाथस, ओती जाथॉ त दोती ओ
एती जाथो त ओती जाथस, ओती जाथॉ त दोती ओ
कोन नजर के जादु मँतर मार देहे मोला ओ , हाय
मोला झोल्टु-राम बना देहे ओ ।
मोला झोल्टु-राम बना देहे ओ


झोल्टु के झोली मा का का चीज, लौँग सुपारी धथूरा के बीज ।
झोल्टु के झोला ला लेगे चोर, झोल्टु कुदावथे धोती छोर ॥
एती देखव ते ओती देखव, ओती देखव ते दोती ओ
छ्त्तीसगढ के मोहनी जरी मोला पिया देहे रे, हाय
मोला सुखडू राम बना देहे ओ
मोला झोल्टु-राम बना देये हो


तोर मया म मै जोगी बनेव, सोला बछर के मै माला जपेँव ।
का कहाव मैं ह काला बताँव, तोला बलावव के ओला बलाँव ॥
तोर मया म मै जोगी बनेव, सोला बछर के मै माला जपेँव ।
का कहाव मैं ह काला सुनाव, तोला बालावव के ओला बलाँव ॥
एती लेजाव कि ओती लेजाव , ओती लेजाव के दोती ओ
सात भाँवर के सात नचनिया, मोला नचा देहे रे , हाय
मोरा फोकटू राम बना देहे ओ
मोरा फोकटू राम बना देहे ओ


तोर जवानी के नशा मोला, गाँजा पीयेँव मे तोला तोला ।
का कहाव मैं ह काला बताँव, तोला बलावव के ओला बलाँव
आरी लेजेव के बारी लेजव , बारी लेजव के दुवारी ओ ।
बत्तीस दिन के खाना पीना मोला छोड़ा देहे ओ , हाय
मोरा फोकटू राम बना देहे ओ


एती देखव त ओती देँखँव, ओती देखँव ते दोती ओ
एती लेजाव कि ओती लेजाव , ओती लेजाव के दोती ओ
कोन नजर के जादु मँतर मार देहे मोला ओ , हाय
मोला झोल्टु-राम बना देहे ओ ।