अभी अभी ......


Friday, June 25, 2010

प्रगति का दौर

                         सर्वत्र प्रगति का दौर है चारों और प्रगति ही प्रगति है जंगलों ने प्रगति की शहर हो गये शहरों ने प्रगति की तो जंगलों को आत्मसात कर लिया...जंगलों को शहर वासी वन विभाग के नाम से जानते हैं जंगल हो ना हो जंगल विभाग सभी जगह पाया जाता है...और वन विभाग वालें इतने शाकाहारी होते हैं कि सिवाय पेड़ों के और कुछ नहीं खाते....

अगर वो शराब होती


मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती,
मैं देख लेता अगर वो ख्बाब होती ...
सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता..
मगर फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती

तन्हा हो तो कभी मुझे ढूढ़ लेना,


तन्हा हो तो कभी मुझे ढूढ़ लेना,
दूरियों से नहीं अपने दिल से पूछ लेना
आपके ही पास रहते हैं हम
 यादों से नहीं तो गुजारें हुए लम्हों से पूछ लेना.......