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Wednesday, February 24, 2010

ममता की रेल या रेल में ममता


साल 2010-11 का रेल बजट ममता बैनर्जी ने संसद में पेश कर दिया है।बजट को पेश करते वक्त दीदी का कहना है उन्होने इस बात का खास ध्यान रखा है कि उनकी योजनाएं आर्थिक पैमाने पर कितना खरा उतरती है,साथ इस बजट का आम लोगों पर क्या प्रभाव पडेगा।ममता बैनर्जी ने कहा कि हमारा लक्ष्यरेलवे से अधिक से अधिक लोगों को जोडने का है इसी आधार पर रेल बजट तैयार किया गया है।पूरे देश से इस बजट के लिए 5000 से भी ज्यादा की मांगे आई थीं.इन मांगों को ध्यान में रखते हुए ममता बैनर्जी ने लोगों पर अपनी ममता खूब बरसाई। यात्री किराये मेंकोई बढोत्तरी नहीं की गई है,साथ ही माल भाडे मेंकिसी तरह की किराये बढ़ोत्तरी भी नहीं की गई है।बाबजूद इसके रेलवे का कुल राजस्व 88281 करोड रहने का अनुमान भी है।रेलवेके लिए मिशन2020 लागू करते हुए दीदी ने लोगों पर सौगातों की बौछारें कर डाली है,5 सालों में पूरे देश को रेलवे के नेटवर्क से जोडने की बात कहते हुए यात्री सुविधाओं के लिए1302 करोड रूपये भी दे डाले हैं.साथ दूर-दराज के क्षेत्रों को रेलवे से जोडने के लिए हर साल 1000 किमी नई रेल लाइन बिछाने की भी बात की गई है.सदन में पेश इस रेल बजट का मूल्याकंन अगर योजनाओं केआधार पर करें तो यह बिल्कुल सही है कियह बजट हर तरीके लोकलुभावन है लेकिन ऐसी कई जिलों को इस बार भी इस बजट में जगह नहीं मिली है जिनके लिए  कई सालों से रेल की मांग उठती रही है,मध्यप्रदेश के कई ऐसे जिलें हैं जहां पर रेलवे की सुविधाओं को लेकर कई बार आंदोलन हुए हैं बाबजूद इस बार भी वे किसी तरह की भी सुविधाओं से वंचित हैं आमूमन मंडला जैसे पिछडे जिले में एकमात्र छोटी लाइन आज भी हाशिये पर है,लंबे समयसे इसे लाइन के लिए ब्राडगेज की मांग की जाती रही है लेकिन सिवाय आश्वासनों के यहां के लोगों को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है,मध्यप्रदेश में सिर्फ 4 नई ट्रेनों को दिया गया है जबकि अन्य स्थानों के लिए भी ट्रेनों की मांग की जाती रही है।बजट में रेल मंत्री ने बारबार इस बात पर जोर दिया है कि रेलवे का निजी करण नहीं किया जायेगा,लेकिन सुविधाओं की बढ़ोत्तरी और 50 स्टेशनों विश्व स्तरीय बनाने का दावा करने वाली योजनाओं के लिए उन्होनें किसी विशेष तरह की योजनाओं का जिक्र नहीं किया है,सिवाय विज्ञापनों के माध्यम से ही राजस्व की बात करती नज़र आई।पूरे बजट को ध्यान से देखा जाये तो एक बात साफ नज़र आती है कि ममता की रेलगाड़ी,स्टापेज से सीधा पश्चिम बंगाल की दिशा की तरफ ही जा रहा है.आखिस ऐसा क्यों ? 5 खेल अकादमी में से एक कोलकाता में,हाबड़ा में रवीन्द्र म्यूजियम,गीताजंलि म्यूजियम,संस्कृति एक्सप्रेस और भी ना जाने क्या क्या ? इस महत्तकांक्षी नेता बड़ी ही सूझबूझ से अपनी सारी योजनाओं को बंगालके लिए केंद्रित करके यह जताने की कोशिश की है वे अपने राज्य के प्रति कितना वफादार है। कहीं ना कहीं 2011 की तैयारी में लगी ममता के इस बजट को सिवाय बंगाल प्रिय के और कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन एक सर्वमान्य सत्य तो यह भी है पूर्व के जितने भी रेल मंत्रियों ने अपना बजट पेश किया वे भी तो सिर्फ अपने वोट बैंक को साधने का प्रयास करते रहें हैं ऐसे में यदि दीदी ने भी मौके पर चौंका जमाया तो क्या गलत किया है।
                                                        केशव आचार्य

रेल बजट 2010


भारतीय रेलवे के सफर की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे के बोरीबंदर से ठाणो के बीच पहली यात्री गाड़ी को हरी झंडी दिखा कर की गई थी। इसके बाद भारत में रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ जिसका प्रारंभिक श्रेय तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को दिया जाता है। भारतीय रेलवे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 3 फरवरी 1925 को बना।इस दिन बाम्बे वीटी व कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। 1937 में वातानुकूलित बोगियों की शुरुआत हुई। स्वतंत्र भारत के लिए पहला रेल बजट 1947 में जॉन मथाई ने पेश किया था। 1984 में कोलकाता में देश की पहली मेट्रो, 1986 में रेलवे आरक्षण में कंप्यूटरीकरण और 1988 में पहली शताब्दी ट्रेन की शुरुआत हुई। यह देश की सबसे तेज ट्रेन है। ट्रेनों की जानकारी के लिए 2007 में ‘139 सेवा’ आरंभ हुई।भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली संस्था है इसमें करीब 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। यह विश्व का पांचवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसकी 1,08,706 किमी लंबी पटरियों पर ग्यारह हजार रेलगाड़ियां दौड़ती हैं जिनमें रोजाना 14 मिलियन यात्री सफर करते हैं। इसके अलावा हर दिन 4000 मालगाड़ियां चलती हैं,जो लगभग 850 मिलियन टन माल की ढुलाई करती हैं।देशभर में करीब 7 हजार रेलवे स्टेशनों से यात्री चढ़ते-उतरते हैं। 24 फरवरी को ममता बैनर्जी ने अपना दूसरा रेल बजट प्रस्तुत किया है।इस रेल बजट में सालों से उपेक्षा का शिकार बने हुए मध्य-प्रदेश छत्तीसगढ़ के लिए सौगातों का पिटारा ममता बैनर्जी ने खोल दिया।प्रदेश के सबसे मशहूर पर्यटन स्थल खुजराहों के लिए एक ट्रेनकी मांग को देखते हुए दिल्ली से औऱ भोपाल से दो ट्रेनों की सौगात मिली तो नक्सलवाद से जूझ रहे दंतेबाड़ा के लिए जगदलपुर से एक ट्रेन की सौगात भी लोगों को मिली।इसके साथ मध्य प्रदेश के लिए ग्वालियर से छिदबाड़ा के लिए भी एक ट्रेन ,कटनी से भोपाल के लिए सीधी ट्रेन तो इंदौर से मुंबई के लिए दुरंतों की सौगात भी प्रदेश के लोगो को मिली है।कुल मिलाकर यह कहा जाये कि इस बार का रेल बजट मध्य प्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ के लिए बना है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी....दीदी को हार्दिक धन्यबाद।