किसी के हिस्से घर आया
किसी के हिस्से मकान
किसी के हिस्से खेती
किसी केहिस्से दुकान आई
आई मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से में मां आई
यूं कहीं से याद आ गया
Thursday, June 10, 2010
सपने
दुनिया¡ में हर ईन्सान के कुछ सपने होते है।
इस प्यार भरी दुनिया¡ में कुछ अपने होते है।
मगर फिर भी एसा लगता है।
जैसे हर महफिल में हम तन्हा होते है।
सपने सजोना हर र्इसांन को अच्छा लगता है,
सपनों को सच करना बड़ा प्यारा लगता है।
इन्ही सपनों में कई फूल खिलते है,
जुदा होकर भी लोग सपनों में मिलतें है।
सपनों की इस दुनिया¡ में उतरना किसे अच्छा नही लगता,
मगर हर सपना ना जाने क्यो सच्चा नही लगता।
सजोए हुए सपने जब टूट जाते है,
लगता है, जैसे चा¡द तारे रूठ जाते है।
सपने जब बिखर जाते है, तो
संग दिल के अरमान जल जाते है।
इस दुनिया¡ में रह जाता है, ये दिल,
तन्हा-तन्हा और सिर्फ तन्हा।
इस प्यार भरी दुनिया¡ में कुछ अपने होते है।
मगर फिर भी एसा लगता है।
जैसे हर महफिल में हम तन्हा होते है।
सपने सजोना हर र्इसांन को अच्छा लगता है,
सपनों को सच करना बड़ा प्यारा लगता है।
इन्ही सपनों में कई फूल खिलते है,
जुदा होकर भी लोग सपनों में मिलतें है।
सपनों की इस दुनिया¡ में उतरना किसे अच्छा नही लगता,
मगर हर सपना ना जाने क्यो सच्चा नही लगता।
सजोए हुए सपने जब टूट जाते है,
लगता है, जैसे चा¡द तारे रूठ जाते है।
सपने जब बिखर जाते है, तो
संग दिल के अरमान जल जाते है।
इस दुनिया¡ में रह जाता है, ये दिल,
तन्हा-तन्हा और सिर्फ तन्हा।
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