अभी अभी ......


Monday, January 25, 2010

मत आना लौट कर

मत आना लौट कर

मत आना इस धरा पर
तुम लौट कर ,
इस विश्वास के साथ कि
तुम्हारे तीनों साथी अब भी
बैठे होगें,
कान आंख और मुंह बंद कर
बुरा ना सुनने,देखने और कहने के लिए,
मत आना तुम इस धरा पर लौट कर
इस आशा के साथ कि
तुम्हारी लाठी अब भी तुम्हारे रास्ते का हमसफ़र होगी
अब तुम्हारी लाठी राहगीरों को रास्ता दिखाने के काम नहीं आती
तुम्हारी लाठी है,
सत्ता के नशे में चूर,घंमड़ी और स्वार्थी मदमस्तों का सहारा,
मत आना इस धरा पर
तुम लौट कर ,
क्योंकि यहां बदल चुके हैं तुम्हारें जीने के मायने और
बदल चुकी है तुम्हारे आस्था के मायने
केशव आचार्य

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