उसने कहा लाल...
और मैं लाल हो गया ...
उसने कहा पीला ...और मैं पीला हो गया ....
वह कहती रही सफेद, हरा, नीला, धामनी, और
मैं हर रंग मे रंगता रहा ...
वो तो मुझे बाद में समझ आया वो एक कुशल चित्रकार थी
जो अपने फायदे के रंग लेकर एक दिन कहीं उड़ गई....
5 comments:
ओह!!
आगे से जरा संभल कर.
ha ha ha ha ...
ye bhi khoob rahi...
koi baat nahi, himmat se kaam lijiye..fir koi na koi mil jaayegi jo aapke rang mein rang jaayegi...
shubhkaamna..
कुशल चित्रकार थी
जो अपने फायदे के रंग लेकर
एक दिन कहीं उड़ गई....
रंग किसी के काम आये
सुन्दर रचना
आईये जानें .... मन क्या है!
आचार्य जी
bahut khub
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
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