अभी अभी ......


Saturday, June 5, 2010

चित्रकार

उसने कहा लाल...
और मैं लाल हो गया ...
उसने कहा पीला ...और मैं पीला हो गया ....
वह कहती रही सफेद, हरा, नीला, धामनी, और
मैं हर रंग मे रंगता रहा ...
वो तो मुझे बाद में समझ आया वो एक कुशल चित्रकार थी
जो अपने फायदे के रंग लेकर एक दिन कहीं उड़ गई....

5 comments:

Udan Tashtari said...

ओह!!

आगे से जरा संभल कर.

स्वप्न मञ्जूषा said...

ha ha ha ha ...
ye bhi khoob rahi...
koi baat nahi, himmat se kaam lijiye..fir koi na koi mil jaayegi jo aapke rang mein rang jaayegi...
shubhkaamna..

M VERMA said...

कुशल चित्रकार थी
जो अपने फायदे के रंग लेकर
एक दिन कहीं उड़ गई....

रंग किसी के काम आये
सुन्दर रचना

आचार्य उदय said...

आईये जानें .... मन क्या है!

आचार्य जी

Shekhar Kumawat said...

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई