मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि लोग किसी को फालो करने से
पहले ये क्यों देखते हैं कि कितने लोग उसे फालो कर रहे हैं.............
1 comment:
Anonymous
said...
क्योंकि भेड़ चाल में असुरक्षा का भाव समाप्त हो जाता है. यह मनोवैज्ञानिक समस्या है. इसकी ज्यादा परवाह नहीं करें और लिखते रहें!
एक बात कहूँगा लिखते समय लेखक के बजाय आम पाठक बनकर सोचें! लेखन में स्वत: ही गरिमा और गहराई पैदा हो जाएगी!
किसी के सर्टिफिकेट कि क्या जरूरत है?
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में ४३६६ आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८) मो. ०९८२८५-०२६६६ E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
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क्योंकि भेड़ चाल में असुरक्षा का भाव समाप्त हो जाता है. यह मनोवैज्ञानिक समस्या है. इसकी ज्यादा परवाह नहीं करें और लिखते रहें!
एक बात कहूँगा लिखते समय लेखक के बजाय आम पाठक बनकर सोचें! लेखन में स्वत: ही गरिमा और गहराई पैदा हो जाएगी!
किसी के सर्टिफिकेट कि क्या जरूरत है?
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में ४३६६ आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८) मो. ०९८२८५-०२६६६
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
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