अभी अभी ......


Wednesday, June 30, 2010

अरूधंती राय अब तो कुछ शर्म करों.....जवानों हम शर्मिदां हैं.....

आज फिर 26 जवान नक्सलियों की भेंट चढ़ गये हैं.... घात लगाये बैठे इन उपद्रवियों नें ना कितनी मांओं से उनका बेटी ..बहनों से भाई ..बच्चों से उनके पिता...औऱ कितनी ही सुहागिनों की मांग उजाड डाली है........कुछ अशांत दिमाग के चलते शोषण मुक्त समाज की अवधारणा वाले इस नक्सल  आंदोलन ने
लोगों को वेबज़ह परेशान करने और आमदनी का एक ज़रिया मात्र बनाकर रख दिया
है। नक्सलवाद का मूल सिंद्धात बदलकर अब सिर्फ हिंसा तक केंद्रित रह गया है।
इनका संघर्ष सर्वहिताय से हटकर राजनैतिक सत्ता के लिए संघर्ष मात्र बनकर
रह गया है। ..इन उपद्रवियों नें आज फिर ना कितनों मांओ से उनके बेटे छीन लियें हैं ना जाने कितने बच्चें आनाथ हो गये....ना कितनों सुहागिनों का सिंदुर पुछ गया....अरे ओ मामूली चीजों के देवता की उपासक क्या इन शहीदों में तुम्हें कोई अपना सगा नज़र नहीं आता है...क्या तुम्हारे कानों में इन शहीदो की विधवाओं की चीखें इनका रूदन नहीं टकरा रहा है...या  महिमामंड़ित महत्वकाक्षां के चलते अब तुम निष्ठुर हो गई हो....मैं आप सब से पूछता हूं कौन जिम्मेदार है इन मांओ ,बहनो.बेटो के आंखों के आसूंओं का जिम्मेदार क्या सिर्फ सरकार या फिर अरूधती राय जैसे महत्वकाँक्षी

1 comment:

Udan Tashtari said...

बस्तर में हुए शाहीदों के नाम!!


हमारी भी अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि!