अभी अभी ......


Friday, August 27, 2010

फोन पर तुम्हरी आवाज

(बडे दिनो जिसने ख्बावों मे परेशान कर रखा था आज उससे बात हुई)

फोन पर तुम्हरी डरी सहमी

आवाज को सुनकर लगा,मानो

कांच की पकी चूडियों के बीच
तुम्हारा कच्चापन भी शामिल हो
तुम्हारी आवाज से तुम्हारे कोमल हृदय का
डरना घबराना साफ दिख गया

तुम्हारी आवाज जैसे
किसी कोयल के बच्चे ने अभी अभी
चहकना शुरू किया हो
और एक बार ही कूक कर जैसे
अपनी ही आवाज में शर्मा गया हो

1 comment:

अनामिका की सदायें ...... said...

निर्मल मन की निर्मल अभिव्यक्ति.