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Wednesday, November 24, 2010

सुशासन का जनादेश


बिहार में संपन्न हुए चुनाव  शत-प्रतिशत शांति और निष्पक्ष चुनाव हुए इसमें कोई दो राय नहीं है।लालू के 15 सालों के विकास की गाथा के सामने 5 सालों का विकास कमाल कर गया....।इसमें कोई दो राय नहीं है कि नीतीश कुमार की विकास लहर के सामने लालू यादव और रामविलास पासवान के गठबंधन की धज्जियां उड गईं।इसे जनमानस की अभिव्यक्ति मानने के आलावा किसी के पास कोई चारा ही नहीं बचा है।नीतीश को सबसे ज्यादा फायदा ज्यादा से ज्यादा वोटिंग होने का मिला है पिछले पांच सालों में जो विकास की राह उन्होनें बिहार में बनाई है उसी का परिणाम रहा है कि लोगों ने बढ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया।महिलाओं की लंबी लंबी कतारे एक नये सामाजिक परिवर्तन की कहानी कह रहे हैं।पूरे चुनाव पर आंतक का ख़तरा मंडराता रहा ....बावजूद इसके मतदान का प्रतिशत इस बात का सूचक रहा कि भारत के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक उत्तर से लेकर दक्षिण तक...विकास की कहानी बंया कर रहा है।....बिहार के चुनाव परिणाम  इस बात का संकेत है कि प्रदेश में लंबे समय से बनी राजनीति असामान्यता अब स्वाभाविक समान्यता की ओर है...और इस माहौल में बदनाम रहे बिहार का हर व्यक्यि बेवाकी से अपनी बात सामने रख सकता है। खुलकर अपने राजनैतिक पक्ष बता सकता है। इस बदले हुए माहौल का परिणाम है कि पिछले चुनावों में जो मतदान का प्रतिशत 46 था इस बार बढकर 52 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया.और सबसे बडी बात इस प्रतिशत में महिलाओ के मतदान का प्रतिशत 54 फीसदी से भी ज्यादा रहा है।जबकि पिछले मतदान में महिलाओ का प्रतिशत महज 44 फीसदी है।पिछले 5 सालों का विश्लेषण करें तो नीतीश की कार्यशैली से इस बात का स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है....इन सालों में बिहार से भययुक्त प्रदेश में राजनैतिक माहौल भयमुक्त रहा है।अपराधियों पर हुई लागातार कार्यवाईयों ने लोगों के मन में बसे खौफ को दूर किया है यही कारण है इस बार के चुनाव में तमाम संभवनाओं केबीच मतदान शांतिपूर्ण हुए..यदि बात की जाये लालू और नीतीश के बीच तो बिहार में पिछले 5 सालों में हुए कामों की तुलना में लोगों केपास नीतीश के आलावा और कोई आदर्श व्यक्तित्व नहीं है। बल्कि यह कहा जाये की प्रदेश कीजनता को इन्ही दोनों में से  किसी एक चुना जाना था तो अतिश्योक्ति नहीं है।राबडी लालू के  अविकास.या यूंकहा जाये कि कुविकास के सामने नीतीश का चेहरा ज्यादा प्रभाव शाली रहा है।2005 के दोनो चुनावों में में नजर डाले तो रामविलास पासवान को मई 2005 के पहले चुनाव में लालू विरोधियों का ही मत मिला...लेकिन सरकार बनने में किया अंडगां डालना उन्हे मंहगा पडा उसी साल अक्टूबर नंबवर में इसी वजह से उनके उम्मीदवार बुरी तरह से पिट गये....दूसरी तरफ इसका सीधा फायदा जद यू भाजपा गठजोड़ को मिला उन्होने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया।कुलमिलाकर  कहा जा सकता है कि यह जीत नीतीश कुमार की कुशल राजनीतिक समझ और विकास का रास्ता तय करने की दिशा जाता है।

2 comments:

satyapathik said...

yah jeet bihar ki hai. bihariyo ki hai or deshvashion ki hai( bihar ke bhai bhino ne dikha diya hai ki we ab vikas karke rhenge or vikas karne walon ke sath hi khade honge......

atul said...

yah jeet bihar ki hai. bihariyo ki hai or deshvashion ki hai( bihar ke bhai bhino ne dikha diya hai ki we ab vikas karke rhenge or vikas karne walon ke sath hi khade honge......