ाक्या जिंदगी है और भूख है सहारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
सौ करोड़ बुलबुले जाने शाने गुलिस्तां थी
उन बुलबुलों के कारण उजडा चमन हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
पर्वत ऊंचा ही सही, लेकिन पराया हो चुका है
न संतरी ही रहा वह,ना पासवां हमारा
गोदी पे खेलती हैं हजार नदियां, पर खेलती नहीं हैं
जो तड़फती ही रहती हैं, कुछ बोलती नहीं हैं,
बेरश्क हुआ गुलशन, दम तोड के हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
अब याद के आलावा गंगा में रहा क्या है
कितनों ने किया पानी पी पी के गुज़ारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
मज़हब की फ्रिक किसको और बैर कब करें हम
है भूखी नंगी जनता गर्दिश में है सितारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
यूनानो, मिश्र, रोमां जो कब के मिट चुके
उस क्यू मे हम खड़े हैं नंबर लगा हमारा
जिंदगी की गाड़ी रेंगती है धीरे धीरे
घर का चिराग अपना, दुश्मन हुआ हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
(बरबस ही याद हो आया फिर भी मेरा देश महान)
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
सौ करोड़ बुलबुले जाने शाने गुलिस्तां थी
उन बुलबुलों के कारण उजडा चमन हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
पर्वत ऊंचा ही सही, लेकिन पराया हो चुका है
न संतरी ही रहा वह,ना पासवां हमारा
गोदी पे खेलती हैं हजार नदियां, पर खेलती नहीं हैं
जो तड़फती ही रहती हैं, कुछ बोलती नहीं हैं,
बेरश्क हुआ गुलशन, दम तोड के हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
अब याद के आलावा गंगा में रहा क्या है
कितनों ने किया पानी पी पी के गुज़ारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
मज़हब की फ्रिक किसको और बैर कब करें हम
है भूखी नंगी जनता गर्दिश में है सितारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
यूनानो, मिश्र, रोमां जो कब के मिट चुके
उस क्यू मे हम खड़े हैं नंबर लगा हमारा
जिंदगी की गाड़ी रेंगती है धीरे धीरे
घर का चिराग अपना, दुश्मन हुआ हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
(बरबस ही याद हो आया फिर भी मेरा देश महान)
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