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Saturday, February 19, 2011

मंडला सामाजिक महाकुंभ.......यानि मध्य प्रदेश का कामनवेल्थ


 फरवरी में नर्मदा समाजिक कुं भ का आयोजन . जिसमें २० लाख श्रृधालुओं के आने की संभावना प्रशासन द्वारा व्यक्त की गई..जिसमें ५० नगर बसाये जा रहे है इन नगरों के बसाये जाने के लिये किसानों की भूमि को भी अधिग्रहित किया गया है ? जिसमें किसानों द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर व किसानों ने मांग की थी कि, हमारी भूमि अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने को लेकर किसानों द्वारा विरोध भी किया गया। जब मुआवजा समय पर नही दिया गया तो इस मुआवजे को लेकर उच्च न्यायायल की शरण में किसान पहुंचे किसानों की यह भी मांग भी की जब कुंभ का आयोजन फरवरी २०११ मेें है तो हम एक फसल आराम से ले सकते थे, लेकिन प्रशासन ने एक नही सुनी। किसानों ने अपनी पीड़ा को बयां करते हुये जानवरों के सामने चारा संकट को लेकर भी अवगत कराया क्योंकि जब फसले ही नही बोयेंगे तो जानवरों को खिलाने के लिये चारा कहां से लायेंगे इस कुंभ के आयोजन से सबसे ज्यादा पीडित वह किसान हुआ उनके जानवर हैं? जिनकी १५०० एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई चौकाने वाली बात यह है कि, इस कुंभ का आयोजन माह फरवरी में होना तय था तो रोजगार गारंटी के तहत मेढ़ बंधान का कार्य क्यों किया गया ? क्योंकि जो भूमि अधिग्रहण की गई है उनमें २००९-१० में मेंढ़ बंधान के कार्य क्यों किये गये ? शासन की राशि का दुरूपयोग क्यों किया जा रहा है ? जबकि जो भूमि अधिग्रहण की गई है जिनमें नगर बसाये जाने हैं उनको समतलीकरण करके मेंढ़ों को तोडक़र ही समतलीकरण किया गया है ? यह कैसा विकास हैं या फिर आम भाषाओं में विनाश ही नजर आ रहा हेै? यह कुंभ में आने वाली समस्या एक नही अनेक है? इस कुंभ के आयोजन क ो लेकर सांसद मण्डला ने भी विरोध जताते हुये कहा कि यह कुंभ में प्रशासन द्वारा केन्द्र की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है मैं कुंभ के आयोजन का विरोध नही कर रहा हॅूं बल्कि इसमें अधिकारियों द्वारा जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है और अनामक स्तर के निर्माण कार्याे को अंजाम दिया जा रहा है। जनभागीदारी के पैसों का एक जगह उपयोग करना यह प्रशासन की गलत नीति है जबकि जनभागीदारी की राशि पूरे जिले के विकास कार्याे में उपयोग की जाती है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस राशि का एक ही जगह उपयोग करना अनूचित है? सांसद द्वारा बताया गया कि २००८-०९ में नर्मदा गहरीकरण इसके डायवर्सन को लेकर भी करोड़ों रूपये खर्च किये गये किन्तु नतीजा सिफर रहा? फिर इस नर्मदा नदी के बीचों बीच में हजारों डम्फर मुर्रम, बोल्डर, पत्थर डालकर सडक़ बना दी गई जब इस सडक़ का निर्माण करना था तो शासन के पैसों को पानी की तरह बहाकर गहरीकरण का कार्य क्यों किया गया यह भी जांच का विषय है?
            इस कुंभ में नर्मदा के आसपास घाटों का निर्माण जल संसाधान विभाग द्वारा कराया जाा रहा है इन कार्याे में भी भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है जब केन्द्र सरकार द्वारा बेरोजगारो को रोजगार मुहैया कराने के लिये योजनायें तो बना ली जाती है लेकिन योजनाओं का सही क्रियान्वयन अधिकारियों द्वारा नही किये जाने पर आज भी शहर में बेरोजगारी सिर चढक़र बोल रही है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि, कुंभ के आयोजन के दोैरान जिन निर्माण ऐजेंसियों के द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है व ज्यादातर मशीनों से कार्य लिया जा रहा है यह तो वही कहावत हुई:-नदी किनारे घोंघा प्यासा, की कहावत को चरितार्थ करता है आज जल संसाधन द्वारा जन भागीदारी से जिन घाटों का निर्माण किया जा रहा है वह अन्य क्षेत्रों से संसाधन बुलाकर उनको काम दिया जा रहा है, जबकि नियम कुछ ओैर ही कहता है?
            ऐसा ही हाल पीएचई विभाग द्वारा नलजल योजना के तहत अस्सी किलोमीटर पाईपलाईन बिछाने का कार्य किया जा रहा है इस कार्य में जो विभाग द्वारा निर्माण स्थल पर मोैजूद न रहने के कारण गुणवत्ताविहीन कार्य किया जा रहा है इसका कारण इस कार्य को मेट मुंशी हवाले छोड़ दिया गया है। उनको तकनीकी ज्ञान का अभाव होने के कारण निर्माण कार्य अमानक स्तर पर किया जा रहा है? कुंभ में कोई यह नया अध्याय नही जिसमें आम जनों से लेकर उच्च अधिकारियों ने भी उंगली उठाई मगर कुछ नही निष्कर्ष निकला इससे स्पष्ट होता है कि बडे नेताओं का संरक्षण मिलने के कारण मामला जांच तक नही पहुंच पा रहा है।
            ऐसे ही अपने कारनामों से चर्चित नगर पालिका भी इस कुंभ में अहम भूमिका निभा रहा है। इस विभाग को साफ सफाई से लेकर सडक़ों को चोैड़ीकरण व शौचालय एवं सुलभ कॉम्पलेक्स बनाने की जिम्मेदारियां दी गई है। अभी हाल ही में  पूर्व नगर पालिका अधिकारी द्वारा जो खरीदी की गई थी उसकी चर्चा विधान सभा में भी गूंजी थी ? लेकिन ले देकर मामले को दबा दिया गया ऐसा ही हाल नपा द्वारा वर्तमान खरीदियों पर भी घोटाला करने का कारनामा शुरू हो गया है। 
            कुंभ के दोैरान लोक निर्माण विभाग भी इस भ्रष्टाचार क रने में पीछे नही है जहां २० लाख श्रृद्धालूओं के आने की बात प्रशासन कर रहा है वही यातायात का दबाव भी शहर में बना रहेगा लोक निर्माण विभाग द्वारा शहर के मुख्य मार्ग जहां से श्रृद्धालुओं का आवागमन रहेगा इसलिये सडक़ का निर्माण विभाग द्वारा जोरशोर से कराया जा रहा है लेकिन विभाग द्वारा जिस ठेकेदार को इस निर्माण कार्य की बागडोर सांैपी गई है वह ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है करोड़ो की लागत से बन रहे मार्गाे पर अमानक स्तर की सामग्री उपयेाग कर रहे हैं जिसका उदाहरण वर्तमान में मानादेई मार्ग जो बनते देर नही उखडऩे लगा है ओैर कई मार्गाे में दरारे आ गई है लेकिन ठेकेदार बेखौफ निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है वही विभाग मोटी राशि कमीशन के एवज में लेकर चुप्पी साधे हुये हैं? वही जल संसाधन विभाग द्वारा वर्तमान में घाट का निर्माण किया जा रहा है जो गुणवत्ता विहीन है।  इस घाट निर्माण में हार्ड बेैस का उपयोग न करके सीधे रेतीली मिटटी में लोहे का जाला बिछाकर सीमेन्ट्रिकरण कर दिया गया है। जो बनते देर नही अपनी गुणवत्ता खुद बयां करने लगा। ऐसा ही हाल सडक़ निर्माण का है जो ठेकेदार की लापरवाही के चलते घटिया निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है। क्षेत्रीय निवासी प्रदीप यादव ने बताया कि इस सडक़ निर्माण में  ठेकेदार द्वारा डामर का कम उपयोग किया जा रहा है जिससे गिट्टीयां खुद व खुद अपनी जगह से निकल रही है और आने जाने वाले वाहनों को परेशानियां उठानी पड़ रही है। ठेकेदार द्वारा इस सडक़ निर्माण में बारिक गिटटी से सील कोट नही किया जा रहा है, ऐसा लग रहा है कि कुंभ के पहले ही सडक़ उखड़ न जाये।
            यह कोई विभाग द्वारा नया कारनामा नही क्योंकि ऐसा ही एक मामला संगम घाट का है जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस घाट की क्या उपयोगिता है। संगम घाट में नहाने वाले लोगों ने बताया कि कुंभ के चलते यह नव निर्मित घाट बनाया गया है, जो घाट का निर्माण क रने वाले अधिकारी व ठेकेदार द्वारा घाट के सामने साफ सफाई न होने के कारण इस उपयोग न के समान है। इस घाट के सामने पानी ही नही है तो निस्तार कहां से किया जावेगा।
            इस कुंभ के आयोजन में सबसे ज्यादा घोटाला शौचालय निर्माण कार्य में सामने आया है। जिसकी वास्तविक लागत कुछ और है लेकिन ठेकेदार द्वारा इसकी लागत कुछ और ही बताई जा रही है। इस संबंध में संबंधित ठेकेदार से चर्चा की गई तो उन्होंने विभाग का नाम बताकर पल्ला झाडते हुये कहा कि, इस संबंध में विभाग के अधिकारियों से ही जानकारी ले। अभी हाल ही में इस शौचालय निर्माण में पचास लाख का घोटाला प्रकाश में आया। जिसकी चर्चायें सर्द हवाओं के साथ गर्म नजर आई। मण्डला में माह फरवरी २०११ में भरने वाला यह कुंभ पूरे भारत में एक घाटोले के नाम पर इतिहास रचने वाला है क्योंकि जिन विभागों को इसके निर्माण कार्य से लेकर व्यवस्थाओं की बागडोर सौंपी गई है, वही इस कुंभ मेंं भ्रष्टाचार करने से बाज नही आ रहे हैं। इन निर्माण कार्याे की तस्वीर ही बंया कर देगी किस निर्माण में कितना खर्च आया होगा। यह तब पता चलेगा जब कुं भ का आयोजन समाप्त होने के बाद जांच होगी, क्योंकि जिस तरह कॉमनवेल्थ में हुये निर्माण कार्याे के घोटाले की चर्चा थी  जिससे पूरा भारत वर्ष शर्मशार हुआ था, उसी इतिहास को दोहराने की कवायद मण्डला जिले में इस कुंभ के आयोजन के नाम पर की जा रही है। 

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