अभी अभी ......


Saturday, January 2, 2010


छत्तीसगढ़म में चुनाव खत्म
लोकसभा चुनावों की मतगणना खत्म .....कांग्रेस को पूरे देश में अप्रत्याशित सफलता हाथ लगी.....उम्मीद से भी बढ़कर कांग्रेस ने पूरे देश में अपना झंड़ा लहराया......साथ ही मध्य प्रदेश में मिली सफलता पर तो कांग्रेस फूले नहीं समा रही है....ऐसे में एक छोटा सा प्रदेश छत्तीसगढ़ एक बार फिर आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया है....मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर क्यों छत्तीसगढ़ में किसी तथाकथित नेता के चलते पार्टी के तमाम सिंद्धातों को ताक पर रख दिया जाता है......क्या दिल्ली के लिए 8 सालों बाद भी छत्तीसगढ़ नवीनतम् प्रयोग और अंनुसंधानों के लिए ही हैं.....,साढ़े 4 सालों तक प्रदेश में पार्टी का गठन नहीं होता और फिर आचनक कई नेता एक साथ कई पदों पर स्वयं को महिमा मंड़ित करते हुए पदाधिकारी बन बैठते है......विधानसभा में हुए निराशाजनक प्रदर्शन और आपसी कलह की भी किसी बड़े नेता को चिंता नहीं है.......मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ किसी मेड़िकल कालेज में स्ट्रेचर पर पड़ी हुई उस लाश कि तरह है....जिस पर तमाम छात्र नये- नये औजारों के साथ उसकी शारीरिक संरचना को जानने के लिए चीड़-फाड़ में लगे रहते है......
Posted by acharya at 11:30 PM 0 comments
Saturday, March 28, 2009

चौथा मोर्चा
आम चुनावों को लेकर विभिन्न गठबंधनों और दलों की जो तस्वीर अब उभर रही है उसमें किसी को बहुमत मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर देश त्रिशंकु संसद की ओर बढ़ रहा है।चुनाव की घोषणा के समय फायदे में दिखाई दे रही कांग्रेस में तीन सप्ताह की नाटकीय उठापटक के बाद अब वो धार नहीं बची दिखाई दे रही है। उसे आखिरी झटका गुरुवार को लगा है जब तमिलनाडु में पीएमके ने अन्नाद्रमुक का दामन थाम लिया। अब वह अपने पुराने सहयोगियों डीएमके और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव वाले तमिलनाडु में अब राजनैतिक समीकरण बदल गए हैं।बीते दिनों के घटनाक्रम के बाद तीनों मोर्चे की ताकत लगभग बराबर दिखाई दे रही है। उनके बीच बराबर मुकाबले के लिए मैदान तैयार लग रहा है। कांग्रेस, भाजपा और वामदलों के तीन गठबंधनों के बीच अब मुलायम सिंह और लालू प्रसाद ने एकजुट होने की घोषणा कर एक तरह से चौथे मोर्चे की नींव रख दी है।यह कहने को तो छोटा है लेकिन यूपीए में कांग्रेस के नेतृत्व को चुनौती देने के लिहाज से यह अहम साबित हो सकता है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ‘चौथा मोर्चा’ एक तरह से शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस पर दबाव बनाने का काम करेगा। इसमें कोई शक नहीं कि राजनैतिक परिदृश्य काफी उलझा हुआ है। स्पष्ट जनादेश नहीं मिलने पर सरकार का गठन जटिल और लंबी प्रक्रिया हो सकती है। लोकसभा के चुनाव राज्यों के नतीजों का ही जोड़ भाग बनते जा रहे हैं। ऐसे में एक और त्रिशंकु संसद की संभावना बन रही है। असली लड़ाई तो नतीजे आने के बादशुरू होगी। सभी पार्टियां इसके लिए तैयार हो रही हैं और बहुत संभव है कि इसमें न तो यूपीए बचे, न ही एनडीए और न ही तीसरा मोर्चा। हो सकता है कि कोई एकदम नई रचना सामने आए, नए नाम के साथ।
Posted by acharya at 9:55 PM 0 comments

4 प्रदेश पूरा देश
लोकसभा 2009 के लिए बिगुल बज चुका है...16 अप्रेल से पहले चरण की 124 सीटों के लिए मतदान होना है...इन लोकसभा सीटों मे से कुछ सीटों पर राष्ट्रीय पार्टीयों की हार-जीत से केन्द्र में सरकार के बनाने और बिगडाने तक का खेल होता है...लोकसभा के महासंग्राम में सबसे महत्तवपूर्ण राज्य माना जाता है उत्तरप्रदेश…संसदीय सीटों की संख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा सूबा....आजादी के बाद से अब तक इसने देश को सात प्रधानमंत्री दिए....इसके खाते में संसद की 80 सीटें हैं... किसी पार्टी या गठबंधन के लिए यह राज्य हमेशा से निर्णायक रहा हैं...पिछले संसदीय चुनाव में समाजवादी पार्टी को 35 सीटें मिली थीं, बसपा को 19, भाजपा को 10 और कांग्रेस को 09 .... देश की दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां-कांग्रेस और भाजपा के लिए यह सूबा सिरदर्द बना हुआ है.......उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पारंपरिक जनाधार खिसकने के साथ ही देश की सत्ता-राजनीति में गठबंधन के दौर की शुरआत हुई है... इस बार भी सत्ता के समीकरण और गठबंधन का स्वरूप तय करने में उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटों की अहम भूमिका होने वाली है....यहां के प्रमुख सियासी किरदार हैं-बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव.... मायावती इस बार प्रधानमंत्री बनने का सपना सच करने में जुटी हुई हैं.... कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र भी इसी सूबे में हैं...... राहुल पार्टी के खोए जनाधार को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं....उनके लिए भी यह चुनाव एक बड़ी अग्निपरीक्षा की तरह है। कांग्रेस और सपा के गठबंधन की भी कोई ख़बर नहीं है....उधर, भाजपा ने रालोद के साथ गठबंधन किया है.....बसपा अपने बूते चुनाव लड़ रही है...... कुल मिलाकर उत्तरप्रदेश में चुनावी ऊँट किस करवट बैठेगा इसी सोच में नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खींची हुई..... 14 वीं लोकसभा में दूसरा बडा राज्य बनकर उभरा महाराष्ट्र ....सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र देश का दूसरा बड़ा राज्य है, जहां लोक सभा की 48 सीटें हैं। पिछले चुनाव में 10 सीटों पर एनसीपी....13 पर कांग्रेस... 12 पर शिवसेना और 11 पर भाजपा को कामयाबी मिली थी.... इस बार भी मुकाबला कांग्रेस-एनसीपी और भाजपा-शिवसेना गठबंधन के बीच है......भाजपा और शिवसेना एकजुट तो हैं लेकिन मराठा-महाबली शरद पवार की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं को बुजुर्ग हो चले सेना-प्रमुख बाल ठाकरे भी यदाकदा हवा देते रहते हैं..... महाराष्ट्र के समीकरण इस बार चुनाव में ही नहीं.....उसके बाद सरकार-गठन की प्रक्रिया को भी गहरे स्तर पर प्रभावित कर सकते हैं। तो दूसरी तरफ आंध्र में भी पार्टियों के हालात ठीक नज़र नही आ रहे है...आंध्र प्रदेश कांग्रेस का एक बड़ा सूबा है ....जहां से पार्टी को पिछले संसदीय चुनाव में 30 सीटें मिली थी.... राज्य में कांग्रेस की सरकार है और अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर प्रदेश में नया राजनीतिक समीकरण बनता दिखाई पड़ रहा है.... 42 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो रहे हैं..... दक्षिण की फिल्मों के सुपरस्टार चिरंजीवी की प्रजाराज्यम पार्टी इस बार के चुनाव मैदान में है.... पिछले चुनाव में राजग के साथ खड़े टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने राजग से नाता तोड़ तीसरे मोर्चे की कमांन संभाली है.....भाजपा के सामने संकट तो है ही कांग्रेस को भी अपना वजूद बचाए रखने के लिए कड़ा यहां संघर्ष करना पड़ेगा। 14 वी लोकसभा में चौथी ताकतवर शक्ति बनकर उभरा बिहार.... 40 संसदीय सीटों वाले बिहार में असल लड़ाई दो राजनीतिक दिग्गजों के बीच है-लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार..... पिछले चुनाव में 24 सीटें जीतकर राष्ट्रीय जनता दल बड़ी ताकत बनकर उभरा और यूपीए सरकार में उसे कैबिनेट की तीन-तीन कुर्सियां मिलीं। राजद अध्यक्ष लालू यादव स्वयं रेल मंत्री बने..... ग्रामीण विकास और कारपोरेट मामलों के मंत्रालय पर भी राजद नेता ही विराजमान हुए...... लालू की राजद और रामविलास पासवान की लोजपा के बीच चुनावी-तालमेल हो गया है... संसदीय चुनाव में चाहे जो भी गठबंधन आगे रहे... केंद्र की अगली सरकार के गठन में बिहार अहम भूमिका निभाएगा......बिहार में असरदार दोनों क्षेत्रीय दलों-राजद और जद(यू)की हैसियत राष्ट्रीय दलों के मुकाबले यहां ज्यादा है.....
Posted by acharya at 9:51 PM 0 comments
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1 comment:

रवीन्द्र प्रभात said...

बढ़िया शुरूआत है.....नये साल की हार्दिक बधाई।