चाहता हूं...छुपाना खुद को..पल भर की जवानी की तरह हूं
खोजता हूं खुद को...लेकिन खो जाता हूं..
लगता है रेगिस्तान में मृग की तरह हूं
वक्त के साथ बदलना चाहता हूं लेकिन समय थमता नहीं
लिखता हूं ..मिटाता हूं
चाहता हूं..छुपाता हूं
खुद की पहचान में भटकाता हूं
आखिर कौन हूं मैं ?
जवाब चाहता हूं मैं
1 comment:
is sansaar ki bheed me sabse mushkil kaam khud ko dhoondhna hi hai...bahut sundar...
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