सोचा जाये तो साबत जीना औऱ भीतर बाहर से जीना यह जीने का सबसे सरल तरीका होना चाहिए,क्योंकि यही तरीका सबसे ज्यादा logocal है। पर यह बात समझ में नहीं आई कि यही तरीका सबसे ज्यादा मुश्किल क्यों है? जो तरीका बाकी सारी कायनात जीवन क्रम में कोई रूकावट नहीं डालता ......धूप बिखर जी सकती है,फुल,पेड़,आकाश ,की ओर विकास करके जी सकते है,सहज और सरल।पर उसी तरीके से जब मानव जीना चाहता है तो उसका नतीजा आमतौर पर
ट्रेजडी और अकेलापन क्यों होता है?
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