जाने कितने मरने वाले इनसे जीवन पा जायेगें
गा दोगे तुम गीत मेरे तो ये अमुत बन जायेगें
मद मस्त पवन हो जायेगी कोयल सुनकर शरमाएगी
कण कण नर्तन कर झूमेगा,सुर लोक धरा हो जायेगी
गंधर्व अप्सराएं धरती पर,आने को ललचाएगें
गा दोगी जो गीत...
छूकर अपने अधरों से तुम,इन गीतों पावन कर दो
पार्थिव देह में भावों के सांसों का स्पंदन भर दो
वाणी में बंधकर जीते जी,ये तो तर्पण पा जायेगें
गा दोगी जो गीत मेरे तो ये अमृत बन जायेगें..
(यूं ही याद तुम्हारी याद आ गई)
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