अभी अभी ......


Thursday, August 12, 2010

कहां पर सबेरा है.....

कदम कदम इतने छल
मिलते हैं पांव को
समझ नहीं आता
जायें किस गांव को
हाथ नहीं सूझ रहा हाथ को
उफ क्या अंधेरा है
सूर्य की कथाएं तो हम सुनते हैं
पर ना जाने कहं सबेरा है

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