अभी अभी ......


Tuesday, November 16, 2010

टीवी और बच्चें

पिछले दिनों एक बडा कडवा अनुभव हुआ......किसी अध्ययन को बडे गौर से पढने के बाद ये समझ आया कि कम उम्र में अपराधों की संख्या लगातार बढती जारही है। थोडा गौर करें कि आखिर क्यो....? पिछले कई दशकों में किशोर उम्र के लडके लडकियों पर हुए अध्ययन बतातें हैं टीवी पर आने वाले हिंसक कार्यक्रमों का उन परघातक असर पडता है हिंसक छवियों का टीनएजर्स पर प्रभाव इस तरह होता कि वे उसकी चपेट में आने से बच नही सकते हैं। ज्यादातक कार्यक्रमो में स्त्री को एक निरीह प्राणी की तरह दिखाया जाता है।लडकियों के मन  में भय पैदा किया होता है। उन्हे लगता है कि उनके इर्द गिर्द का समाज बहुत ही दूषित है उनके मन में समाज के लिए नक्रारत्मक छवि बन जाती है।तो दूसरी तरफ कार्टून भी बच्चों के मन मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डाल रहे हैं.....जहां एक और उनकी भाषा शैली पर गलत प्रभाव पडता है वहीं दूसरी ओर स्टंट दिखाने वाले कई धारावाहिकों और उनके करामाती चरित्र बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे होते हैं।उन्हे लगता है कि वे भी इतने ही ताकतवर और बलशाली हैं।

1 comment:

Anonymous said...

интим знакомства в биробиджане sexwa http://mambarelund.krovatka.su/
интим выезд зеленоград