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Wednesday, February 24, 2010

रेल बजट 2010


भारतीय रेलवे के सफर की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे के बोरीबंदर से ठाणो के बीच पहली यात्री गाड़ी को हरी झंडी दिखा कर की गई थी। इसके बाद भारत में रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ जिसका प्रारंभिक श्रेय तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को दिया जाता है। भारतीय रेलवे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 3 फरवरी 1925 को बना।इस दिन बाम्बे वीटी व कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। 1937 में वातानुकूलित बोगियों की शुरुआत हुई। स्वतंत्र भारत के लिए पहला रेल बजट 1947 में जॉन मथाई ने पेश किया था। 1984 में कोलकाता में देश की पहली मेट्रो, 1986 में रेलवे आरक्षण में कंप्यूटरीकरण और 1988 में पहली शताब्दी ट्रेन की शुरुआत हुई। यह देश की सबसे तेज ट्रेन है। ट्रेनों की जानकारी के लिए 2007 में ‘139 सेवा’ आरंभ हुई।भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली संस्था है इसमें करीब 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। यह विश्व का पांचवां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसकी 1,08,706 किमी लंबी पटरियों पर ग्यारह हजार रेलगाड़ियां दौड़ती हैं जिनमें रोजाना 14 मिलियन यात्री सफर करते हैं। इसके अलावा हर दिन 4000 मालगाड़ियां चलती हैं,जो लगभग 850 मिलियन टन माल की ढुलाई करती हैं।देशभर में करीब 7 हजार रेलवे स्टेशनों से यात्री चढ़ते-उतरते हैं। 24 फरवरी को ममता बैनर्जी ने अपना दूसरा रेल बजट प्रस्तुत किया है।इस रेल बजट में सालों से उपेक्षा का शिकार बने हुए मध्य-प्रदेश छत्तीसगढ़ के लिए सौगातों का पिटारा ममता बैनर्जी ने खोल दिया।प्रदेश के सबसे मशहूर पर्यटन स्थल खुजराहों के लिए एक ट्रेनकी मांग को देखते हुए दिल्ली से औऱ भोपाल से दो ट्रेनों की सौगात मिली तो नक्सलवाद से जूझ रहे दंतेबाड़ा के लिए जगदलपुर से एक ट्रेन की सौगात भी लोगों को मिली।इसके साथ मध्य प्रदेश के लिए ग्वालियर से छिदबाड़ा के लिए भी एक ट्रेन ,कटनी से भोपाल के लिए सीधी ट्रेन तो इंदौर से मुंबई के लिए दुरंतों की सौगात भी प्रदेश के लोगो को मिली है।कुल मिलाकर यह कहा जाये कि इस बार का रेल बजट मध्य प्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ के लिए बना है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी....दीदी को हार्दिक धन्यबाद।

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