अभी अभी ......


Saturday, February 27, 2010

होली है तो पर...


 पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी होती है...जहां तक परंपराओ की बात है...तो वह समय और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है...बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए यह कहना सही होगा....कि अब हरियाली से होली खेलना बंद कर देना चाहिए...और यही समय की दरकार भी है... कि आने वाली पीढ़ी के लिये परंपराओ में बदलाव करें... बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोवल वार्मिंग ने लोगों की मुश्किले बढ़ा दी है..... पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हरे भरे पेड़ों को बचाने विभिन्न प्रयास किये जाते है....ऐसे में होली हमें अपने देश काल की परिवर्तित होती परिस्थितियों के अनुसार मनाना चाहिए...पर्यावरण को हो रही हानि के चलते अब सिर्फ प्रतीकात्मक होली जलाई जाना चाहिए... पहले समय मे जमीन जंगल से लदे पड़े थे...जिसके कारण होलिका दहन से प्रदुषण की समस्या से निज़ात  मिल जाती थी...लेकिन आज परिस्थिति ठीक विपरीत हो गई है...आज जमीन ज्यादा और जंगल कम हो गए है...ऐसे में परंपराओ में बदलाव जरुरी है...अब होली..... समय और पर्यावरण को देखते हुए मनाना चाहिए...हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखने की चिंता हमें करना चाहिए... हमें पुरानी परंपराओ में परिवर्तन कर होली को नए तरिके से मनाना चाहिए...अपने अहम को कम कर होली मनानी चाहिए...आज पर्यावरण की गंभीरता को देखते हुए...परंपराओ में परिवर्तन की आवश्यकता है...बुद्धजीवी वर्ग मानता है कि पर्यावरण संतुलन के लिए हमें ही पहल करनी होगी...ताकि आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर रुप धारण ना कर सके...

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