आचार्य
कुछ इस पार की बातें...
आपका स्वागत है..इस पार की बातों के बीच...ना बड़ी ना छोटी,ना सच्ची ना झूठी,...आपकी और हमारी बातें..बस कुछ इस पार की बातें...
अभी अभी ......
Wednesday, August 11, 2010
हमने चाहा है तुम्हे
हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह
हमसे ना रूठो करो शौक गिजालों की तरह
तेरी जुल्फें तेरे लब,तेरी आंखों के पैमाने
अब भी मशहूर हैं दुनियां में मिशालों की तरह
और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतूं
दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह
1 comment:
Unknown
said...
वाह तो आशिकी वाली शायरी भी,
बहुच खूब।
August 12, 2010 at 3:00 AM
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वाह तो आशिकी वाली शायरी भी,
बहुच खूब।
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